रैनसमवेयर (Ransomware)नाम के कंप्यूटर वायरस

रैनसमवेयर नाम के कंप्यूटर वायरस के बारे में' एक नया कंप्यूटर वायरस सामने आया है, जिसे रैनसमवेयर कहा

जा रहा है। यह एक तरीके का मैलवेयर (गलत मकसद वाला सॉफ्टवेयर) है, जो किसी यूज़र के कंप्यूटर में फाइलों को कोड लैंग्वेज में बदल देता है और उन्हें वापस ठीक करने के लिए पैसे मांगता है। इस वायरस का खतरा भारत में भी बहुत ज्यादा है और यहां लगातार इस वायरस के मामले सामने आ रहे हैं।


इस रैमसमवेयर (फिरौती मांगने के मकसद से बनाया गया सॉफ्टवेयर) को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि जब तक एक निश्चित रकम का भुगतान नहीं कर दिया जाता, यूज़र का कंप्यूटर ठप रहता है।

मुंबई के एक सीनियर मैनेजमेंट प्रोफेशनल पर रैनसमवेयर अटैक हुआ। उनके लैपटॉप की स्क्रीन पर एक मेसेज आ रहा था, जिसमें उनका डेटा वापस देने के लिए पैसे मांगे जा रहे थे। आखिरकार उन्होंने पैसे दे दिए क्योंकि यह उनके लिए कुछ हजार रुपयों की बात थी, जबकि लैपटॉप में बहुत जरूरी डेटा था। पैसे देने के बाद उन्हें डेटा मिल गया।' हालांकि बेंगलुरु के एक प्रोफेशनल को पैसे देने के बाद भी डेटा वापस नहीं मिला।

साइबर सिक्यॉरिटी फर्म सिमैन्टेक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत दुनिया के उन टॉप 5 देशों में शामिल है, जहां रैनसमवेयर सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं।

अगर आप सोशल नेटवर्क पर किसी से जुड़ रहे हैं, तो अच्छे से जांच लीजिए कि वह सही है या नहीं। ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जब म्यूजिक या विडियो शेयर करने में मैलवेयर भेज गया हो।

क्विक हील के चीफ टेक्निकल ऑफिसर ने कहा, 'हम पिछले कुछ हफ्तों से हर रोज 500 से ज्यादा इस तरह के मामले देख रहे हैं। इस तरह की रिपोर्ट्स पूरे भारत से आ रही हैं।

क्विक हील ने एक बयान में कहा, 'सितंबर, 2013 की शुरुआत में क्विक हील थ्रेट रिसर्च ऐंड रिस्पॉन्स लैब को ऐसी कई घटनाएं देखने को मिलीं, जहां किसी कंप्यूटर में कोड लैंग्वेज में बदली गई फाइलों को ठीक करने के लिए फिरौती की मांग की गई।

कंपनी ने कहा कि यह वायरस यूकैश, बिटकॉइन या मनीपैक जैसी प्रीपेड कार्ड सेवाओं के जरिए 300 डॉलर (करीब 18,500 रुपए) की फिरौती मांगता है।

इस तरह का वायरस फर्जी फेडेक्स या यूपीएस ट्रैकिंग नोटिफिकेशन के जरिए फैलाया जाता है, जिसमें फाइलें अटैच होती हैं और जैसे ही कोई इन फाइलों को खोलता है, क्रिप्टोलॉकर कंप्यूटर में इंस्टॉल हो जाता है और सभी तरह के डॉक्युमेंट्स पर अपना काम शुरू कर देता है।

क्विक हील ने कहा कि वायरस फोटो और विडियो समेत सभी चीजों को एन्क्रिप्ट (कोड लैंग्वेज में बदलना) कर देता है। जब यूज़र फाइल खोलने की कोशिश करता है, तो उससे फाइलें डिक्रिप्ट (डिकोडिंग) करने के लिए 300 डॉलर में 'प्राइवेट की' खरीदने को कहा जाता है, जिससे फाइलें डिक्रिप्ट की जा सकती हैं।

इस पर काम करने वाले हैकर्स अपने पीछे किसी तरह का सुराग नहीं छोड़ते क्योंकि वे बिटकॉइन्स और मनीपैक जैसे डिजिटल कैश सिस्टम के जरिए पेमेंट लेते हैं।

क्विक हील ने कहा, 'पिछले कुछ दिनों में इस तरह का एक और रैनसमवेयर 'ऐंटि-चाइल्ड पॉर्न स्पैम' नाम से कुछ कंप्यूटर्स में दिखा है। इससे पता चलता है कि रैनसमवेयर का ट्रेंड बढ़ रहा है।


बचने के लिए क्या करें
- अपने सिस्टम में ऑरिजनल ऐंटि-वायरस रखें।
- ऐंटि-वायरस अपडेट रखें।
- अनजान लोगों से आए ईमेल्स (खासकर उसके साथ के अटैचमेंट) को न खोलें।
- कुछ ऐंटि-वायरस ऐसी साइट्स के बारे में आगाह कर देते हैं, जो भरोसेमंद नहीं होती हैं। उन वेबसाइट्स पर न जाएं।
- सोशल साइट्स पर ऐसे लोगों से न जुड़ें, जो भरोसेमंद न हों। खासकर उनकी भेजी फाइलें न खोलें।



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