रेडियो पर भी दिखेगी कलाकारों की फोटो

संचार युग में रेडियो प्रसारण का स्थान आज भी किसी मायने में कम नहीं। आकाशवाणी ही एक ऐसा प्रसारण माध्यम है, जिसकी पहुंच लगभग शत-प्रतिशत लोगों तक है। लद्दाख, लेह, कोहिमा समेत सुदूर तक रेडियो की आवाज सुनी जाती है। वैसे, भारत में रेडियो प्रसारण सन 1927 में आरंभ हुआ, लेकिन 90 के दशक में एफएम अस्तित्व में आया और रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में धमाल मच गया।
अब आकाशवाणी के क्षेत्र में नई तकनीक डीआरएम क्रांतिकारी परिवर्तन का दस्तक दे चुका है। इस तकनीक के माध्यम से रेडियो सेट में लगे एलसीडी (लिक्विड क्रिस्टल डिसप्ले) पर कलाकारों की फोटो दिखाई देगी। साथ ही अन्य विवरण भी यथा प्रस्तुतकर्ता, कलाकारों, गीत व संगीतकारों के नाम भी प्रदर्शित होंगे। इतना ही नहीं किसी भी प्रोग्राम के बीच महत्वपूर्ण सूचनाएं दिखाई जा सकेंगी।

भारत में इस तकनीक का प्रयोग विदेश प्रसारण सेवा ने शुरू कर दिया है। 11 वीं पंचवर्षीय योजना में देश के 'ए' व 'बी' श्रेणी के सभी आकाशवाणी केंद्र डीआरएम तकनीक में बदले जाने की योजना है। फिलहाल, एएम यानी (एम्प्लीच्यूट मॉड्यूलेशन) तकनीक से प्रसारण किया जा रहा है। डीआरएम के जरिए किसी भी केंद्र का प्रसारण दूर-दूर तक यानी हजारों मील तक स्पष्ट सुनाई देगा। इसकी प्रसारण गुणवत्ता एमएम रेडियो की तरह होगी। इतना ही नहीं, श्रोता एक साथ पांच चैनलों के कार्यक्रमों का आनंद ले सकेंगे। वर्तमान में बीबीसी, जर्मनी, चीन, फ्रांस आदि रेडियो डीआरएम तकनीक से प्रसारण कर रहे हैं।
आकाशवाणी वाराणसी के केंद्राध्यक्ष विनोद कुमार सिंह ने बताया कि डीआरएम के पहले चरण में स्थानीय केंद्र को भी शामिल किया गया है। इसकी सर्विस के लिए श्रोताओं को एक नई किस्म का रेडियो सेट लेना होगा, इसमें एक डिस्प्ले भी लगा रहेगा। इसकी कीमत सामान्य से अधिक नहीं होगी, साथ ही पुराने रेडियो सेट भी पूर्व की भांति उपयोग में लाये जा सकेंगे।



आपकी टिप्पणी मेरे लिए मेरे लिए "अमोल" होंगी | आपके नकारत्मक व सकारत्मक विचारों का स्वागत किया जायेगा | Haw Can It के लेख पसंद आने पर कृपया Haw Can It ब्लॉग के समर्थक (Follower) बने। सादर धन्यवाद।।

0 comments:

Post a Comment