अमर हो जाएगी मनुष्य जाति ????????

टाइम पत्रिका के ताजा अंक में कवर स्टोरी के रूप में यह बात विविध वैज्ञानिक अनुसंधानों, पिछले इतिहास और आगे की संभावनाओं की पड़ताल करने के बाद कही गई है। मनुष्यत्व को सिंगुलेरिटी जैसी अवधारणा को प्राप्त करने में बस कुछ ही दशक शेष हैं! सिंगुलेरिटी उस स्थिति को कहते हैं जहाँ आम भौतिकी के नियम लागू नहीं होते, जैसे कि ब्लैक होल में।
वैज्ञानिक रेमंड कुर्जवेल, जिनके खाते में 39 पेटेंट हैं, 19 ऑनरेरी डॉक्टरेट, 1999 के यूएसए नेशनल टेक्नोलॉजी मैडल से पुरस्कृत हैं, अपनी किताब ‘द सिंगुलेरिटी इज नियर’ में कुछ इसी तरह की बात कहते हैं। वे पिछले 20 वर्षो से वैज्ञानिक के साथ-साथ वैज्ञानिक-भविष्यवेत्ता को करियर के रूप में अपनाए हुए हैं और उनकी कई भविष्यवाणियाँ समय के साथ सटीक बैठी हैं।
कंप्यूटिंग भविष्यवाणियाँ
कंप्यूटिंग टेक्नोलॉजी को लेकर रेमंड कुर्जवेल की कुछ दिलचस्प भविष्यवाणियाँ हैं।
- 2015 में कंप्यूटरों में चूहे के मस्तिष्क के जितनी क्षमता आ जाएगी।
- 2023 में कंप्यूटरों में मनुष्य के दिमाग जितनी कृत्रिम बुद्धि विकसित हो जाएगी।
- 2045 में कंप्यूटरों में तमाम विश्व के समस्त मानवों के मस्तिष्क की क्षमताओं के सम्मिलित क्षमता जितनी ताकत आ जाएगी और तब, मशीनें क्या कुछ करेंगी, सोचें! दरअसल, इस भविष्यवाणी के पीछे टेक्नोलॉजी की अब तक की चाल के इतिहास का गहरा अध्ययन रहा है। कंप्यूटिंग पावर आज की स्थिति में हर घंटे उतनी तेजी से बढ़ रहा है जितनी कि यह अपने शुरुआती समस्त 90 वषों में बढ़ा है। दूसरे शब्दों में, पिछली सदी भर की समस्त कंप्यूटिंग ताकत को हम आज महज एक घंटे में पा ले रहे हैं और यह ताकत बढ़ रही है।
अमरत्व का प्रथम पग:-रेमंड कुर्जवेल अभी 62 वर्ष के हैं और उनका मानना है कि वे बायोलॉजिकली, 20 वर्ष छोटे हैं यानी उनकी शारीरिक अवस्था, शारीरिक अंगों-अवयवों की क्षमता और अवस्था सिर्फ 42 वर्ष के व्यक्ति जितनी ही है। उनके जीन में जन्मजात डायबिटीज टाइप 2 के अवयव थे, परंतु 62 वर्ष की उम्र में उनमें डायबिटीज के लक्षण नहीं हैं। वे दीर्घायु देने वाली दवाइयों के विशेषज्ञ टैरी ग्रासमैन के साथ काम कर रहे हैं और विशेष सप्लीमेंट युक्त आहार और दवाइयां ले रहे हैं।
इधर शोधकर्ताओं ने टेलोमीरास नामक एक एंजाइम का पता लगाया है जो मनुष्यों में बुढ़ापे की प्रक्रिया को लगाम लगाता है। हारवर्ड मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने बूढ़े चूहों को यह एंजाइम दिया तो चूहों में न सिर्फ बुढ़ापे की रफ्तार रुकी बल्कि कुछ मायनों में बुढ़ापे की बयार उलटी चली और चूहे अपेक्षाकृत युवा हो गए और, जाहिर है, अब प्रयोग की बारी मनुष्यों की है।
कृत्रिम अंग:-अत्याधुनिक टैक्नोलॉजी के प्रयोग से मनुष्य के जीवन के महत्वपूर्ण अंगों, मसलन हृदय और किडनी के कृत्रिम, मशीनी रूप बना पाने में सफलता हासिल हो चुकी है। स्टेम सेल थेरेपी से मनुष्य के मर चुके या खराब हो चुके अंगों में नवजीवन देने की चिकित्सकीय पद्धति हाल में प्रकाश में आई और चहुँओर इनमें नए-नए आयाम प्राप्त होने की खबरें मिल रही हैं। इस तरह से मनुष्य के थके, बूढ़े हो रहे अंगों में स्टेम सेल चिकित्सा पद्धति से नया जीवन भर उनमें नवजीवन प्रदान कर अथवा मशीनी कृत्रिम अंगों की सहायता से मनुष्य की आयु को अकल्पनीय रूप से लंबा खींचा जा सकेगा।
विरोध के स्वर:-मनुष्य के अमरत्व की अवधारणा आसानी से पचती नहीं। जीवविज्ञानी डेनिस ब्रे का कहना है कि जीवों की कोशिकाओं में वातावरण के लिहाज से बदलने की अपार संभावनाएं होती हैं। भविष्य के लिहाज से अपने आप को तैयार करने में वे पूरी तरह से सक्षम होती हैं और इससे संबंधित जानकारियों को अपने में समेटने की भी अपार, अनंत क्षमता होती है। हर जीवित वस्तु का एक जीवन चक्र होता है।
अमरत्व की ओर पहला कदम:-जो भी हो, जैसे जैसे मनुष्य सभ्य होता गया है, दीर्घायु होता गया है। मनुष्य के पास स्वास्थ्य, स्वच्छता, रहनसहन की जैसे-जैसे तमाम सुविधाएं जुड़ती गई हैं, उसकी आयु बढ़ती गई है। वर्ष 1900 के दौरान मनुष्य की वैश्विक औसत आयु (लाइफ एक्सपेक्टेंसी) मात्र 30 वर्ष थी, जो आज 64 वर्ष तक पहुँच गई है। यह भी एक तरह का अमरत्व नहीं तो और क्या है।



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