माइक्रो चिप अंतत: अपने चरम पर

50 सालों के निरंतर प्रयास और सुधारों के बाद कंप्यूटर की दुनिया में क्रांतिकारी परिवर्तन का माध्यम बना माइक्रो चिप अंतत: अपने चरम पर पहुंच गया है।

पचास साल पहले 25 अप्रैल को इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर राबर्ट नोयसी को पहले सिलिकॉन माइक्रोचिप का पेटेंट मिला था। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, दशकों बाद हम अभी भी उस क्रांति में जी रहे हैं जो लगभग अभी शुरू हुई है लेकिन जिसमें बढ़ोतरी के संकेत मिल रहे हैं।

इस मामले में मूर का नियम लागू हो रहा है जिसके अनुसार हर दो साल में ट्रांजिस्टर की संख्या दोगुनी होती जा रही है।
मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के दिग्गज माइक्रोचिप विशेषज्ञ स्टीव फर्बर का कहना है कि माइक्रोचिप में सुधार की गति अब धीमी होती जा रही है।
अगले दस साल में इसके विकास की सारी सीमाएं खत्म हो जाएंगी।



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