प्राकृतिक आपदा कब आए किसी को नहीं पता लेकिन माँ प्रकृति के रोष के
कारण पिछले एक दशक में दुर्घटना और भयंकर आपदाओं में वृद्धि हुई है जो
दुनिया ने कभी नहीं देखी। जिसमें अनेक प्रकार के डेटा का लॉस हुआ और डेटा
रिकवरी को लेकर गम्भीरता से देखा जाने लगा।
आज का बदलता मौसम ही एक गम्भीर संकट है, जो गम्भीर सूखे, तूफान, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की संख्या मे वृद्धि का मुख्य कारण है। इन्हीं प्राकृतिक आपदाओं से मानव जीवन, सम्पत्ति, कारोबार और व्यवसाय के डेटा पर घातक प्रभाव हुआ है।
एक व्यापार के नज़रिए से, कोई भी मानव निर्मित आपदा या प्राकृतिक आपदा
विनाशकारी हो सकती है। इसकी वजह से व्यापार में नुकसान, व्यापार के प्रवाह
मे रुकावट और व्यापार बंद हो सकता है। हाल ही में चेन्नई में आई बाढ़ से
व्यवसायों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। व्यापार संगठनों को एक डिसास्टर
रिकवरी (disaster recovery) योजना की ज़रूरत है।
यहाँ पर कुछ ध्यान देने योग्य जानकारी है जो लाखों का बहुमूल्य डेटा को बचा सकती है।
आज का बदलता मौसम ही एक गम्भीर संकट है, जो गम्भीर सूखे, तूफान, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की संख्या मे वृद्धि का मुख्य कारण है। इन्हीं प्राकृतिक आपदाओं से मानव जीवन, सम्पत्ति, कारोबार और व्यवसाय के डेटा पर घातक प्रभाव हुआ है।
यहाँ पर कुछ ध्यान देने योग्य जानकारी है जो लाखों का बहुमूल्य डेटा को बचा सकती है।
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